राजनैतिक बनवास सत्ता का सूखा अपनों से झेलती उत्तराखंड कांग्रेस देहरादून उत्तराखंड में कांग्रेस आपसी गुटबाजी से कभी भी उभर नहीं पाई अगर उभर पाती तो पिछले दो विधानसभा चुनाव सत्ता से बहार रहकर बनवास नहीं झेल रही होती उत्तराखंड में वर्तमान कांग्रेसी सियासत में कुमायु से लेकर गढ़वाल हर जगह गुटों के खेमे बताते है अपनों की राह में अपने रोड़े बने रहे लोकसभा चुनाव इसका सबसे बड़ा राजनैतिक उदहारण है।
कांग्रेस में एक नेता जो कभी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सबसे खास हुआ करते थे उनके अनुसार उत्तराखंड में कांग्रेस सत्ता में वापिसी कर लेते अगर हरीश रावत पारिवारिक लोगो को टिकट नहीं देते या दो जगह से चुनाव नहीं लड़ते हलाकि उनका ये कहना ऑफ़ दा रिकॉर्ड रहा लेकिन समय बदला उत्तराखंड में बीजेपी सत्ता की कुर्सी पर विराजमान हो गई जिसकी कसक आज तक कांग्रेस के कई बड़े नेता अपनी पाला बदल लेने वाली कदम ताल को देते है।
उत्तराखंड कांग्रेस 2027 में सत्ता में वापिसी का सपना देख रही है सत्ता से बहार होने का सूखा कांग्रेस नेताओं को दिन रात परेशान करता है मौजूदा हालात ऐसे है अकेला चलो वाले नेता जी अपनी दावतों से जख्मो पर नमक छिड़क रहे है कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा भी उत्तराखंड में गुटबाजी से परेशान है उनकी मेहनत पर भी दावत वीर हावी हो गए है करे तो क्या करे परेशान होकर कांग्रेस दरबार में हजारी लगाकर दावत वाले नेता को सबको साथ में लेकर चलने का हुक्म करवा बैठे है नतीजा कोई खास नहीं रहा नेता की फिर हल्द्वानी कुमायु में जलेबी से लेकर दावतों में मशगूल हो गए।
बरहाल उत्तराखंड कांग्रेस सत्ता में वापिसी के लिए एक नहीं दूसरी पात में मौजूद युवा छात्र सियासत भी कमजोर हो गई है जैसा जोश एक दशक पहले देखा जाता था वो अब नहीं रहा दोहरी मार से परेशान कांग्रेस अपना राजनैतिक बनवास कैसे पूरा करेगी ये भी देखना दिलचप्स होगा हलाकि एक गट गढ़वाल से गणेश गोदियाल को आगे कर नयी सियासत की पैरवी कर चूका है लेकिन इसको बड़े बरगद कैसे पनपने देंगे इसकी भी कोई गारंटी नहीं।