परीक्षा विवाद में युवाओं के बीच पहुंचे सीएम धामी, सीबीआई जांच की संस्तुति
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को परेड ग्राउंड में आंदोलनरत युवाओं के बीच पहुंचकर उनकी चिंताओं को सीधे सुना और आश्वस्त किया कि सरकार उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की हालिया परीक्षा में हुए विवाद की CBI जांच की संस्तुति करेगी।
मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि सरकार युवाओं के मन में किसी भी प्रकार का संदेह या अविश्वास नहीं रहने देना चाहती। यही कारण है कि उन्होंने न केवल सीबीआई जांच के लिए सहमति दी, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि किसी प्रकार की रुकावट जांच प्रक्रिया में नहीं आने दी जाएगी।
धरना स्थल पर पहुंचकर दिया भरोसा
परेड ग्राउंड में प्रदर्शन कर रहे युवाओं के बीच दोपहर बाद अचानक पहुंचे मुख्यमंत्री धामी ने कहा,
“यह बातचीत सचिवालय या कार्यालय में भी हो सकती थी, लेकिन मैंने स्वयं यहां आकर आपसे मिलने का निर्णय लिया, क्योंकि आपके संघर्ष और तकलीफ को महसूस करता हूं। मैं पूरी तरह से आपके साथ हूं।”
उन्होंने बताया कि पिछले चार वर्षों में राज्य सरकार ने 25,000 से अधिक पारदर्शी भर्तियाँ की हैं, जिनमें कहीं से कोई शिकायत नहीं आई। सिर्फ एक मामले में शंका सामने आई है, और उसे भी गंभीरता से लिया जा रहा है।
एसआईटी जांच के साथ अब सीबीआई जांच भी
मुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल यह मामला हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में एसआईटी द्वारा जांचा जा रहा है और समिति ने अपना कार्य शुरू कर दिया है। फिर भी, युवाओं की मांग को प्राथमिकता देते हुए अब सरकार CBI जांच की संस्तुति करने जा रही है।
युवाओं के सपनों का सम्मान
भावुक अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वे जानते हैं कि उत्तराखंड का युवा पढ़ाई पूरी कर सरकारी नौकरी का सपना देखता है।
“मैंने भी वही परिस्थितियां देखी हैं, उन्हीं गलियों से होकर आया हूं। मैं जानता हूं कि युवाओं के जीवन में सरकारी नौकरी का सपना कितना मायने रखता है।”
मुकदमे होंगे वापस, भरोसा बहाल होगा
आंदोलन के दौरान अगर किसी भी युवा पर मुकदमा दर्ज हुआ है, तो सरकार उन्हें वापस लेने की प्रक्रिया भी शुरू करेगी।
मुख्यमंत्री ने युवाओं से संवाद करते हुए कहा,
“हम सबका लक्ष्य है कि अमृतकाल के इस दौर में उत्तराखंड देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बने। इसमें युवाओं की भागीदारी सबसे अहम है।”
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह कदम दर्शाता है कि उनकी सरकार युवा हितों को लेकर पूरी तरह संवेदनशील और प्रतिबद्ध है। सीबीआई जांच की संस्तुति, मुकदमों की वापसी और धरना स्थल पर स्वयं पहुंचकर संवाद स्थापित करना – यह सभी निर्णय युवाओं के प्रति एक उत्तरदायी और जवाबदेह नेतृत्व की तस्वीर पेश करते हैं।