शहादत भरा अपना इतिहास जानना बहुत जरूरी: कथाकार सुभाष पंत
देहरादून, 4 मार्च 2025 कथाकार सुभाष पंत स्कूलों के पाठ्यक्रम में राज्य आंदोलन को शामिल करने के उत्तराखंड सरकार के फैसले से बेहद खुश हैं। पंत इसे एक महत्वपूर्ण कदम मानते हुए कहते हैं, “शहादत भरे इतिहास की जानकारी हमारे बच्चों को होनी ही चाहिए। उन्हें अपनी विभूतियों के बारे में भी जानना चाहिए, ताकि वे अपने राज्य की असली पहचान और संघर्ष को समझ सकें।”
इससे पहले, उत्तराखंड साहित्य भूषण सम्मान-2024 से नवाजे गए सुभाष पंत ने इस फैसले को संयोग से जोड़ते हुए सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। वह कहते हैं, “यह निर्णय वास्तव में बहुत अच्छा है और यह उत्तराखंड के इतिहास और संघर्ष को न केवल छात्रों तक पहुंचाएगा, बल्कि राज्य की युवा पीढ़ी को प्रेरित भी करेगा।”
उन्होंने साहित्यकारों के सम्मान और उनके कल्याण के लिए की गई घोषणाओं का भी स्वागत किया। पंत के अनुसार, “किसी भी क्षेत्र की पहचान साहित्यकारों से ही होती है। अगर साहित्यकारों की आर्थिक मजबूती पर ध्यान दिया जा रहा है, तो यह निश्चित रूप से एक अच्छी पहल है।” उन्होंने उदाहरण के रूप में रवींद्रनाथ टैगोर और बंगाल का उल्लेख किया, जहां साहित्य और साहित्यकारों को अत्यधिक सम्मान प्राप्त है।
सुभाष पंत की कृतियों की लंबी सूची है, जिसमें “एक रात का फासला,” “छोटा हुआ आदमी,” “मुन्नी बाई की प्रार्थना,” “पहाड़ की सुबह” और “सिंगिंग बेल” जैसी कृतियाँ शामिल हैं। इन कृतियों ने उन्हें विशेष पहचान दिलाई है। बातचीत में पंत ने यह भी कहा, “कैसा भी दौर रहा हो, सृजन कभी रुकता नहीं है। यात्रा हमेशा आगे बढ़ती है, पीछे नहीं लौटती।”
साथ ही, वह उत्तराखंड भाषा संस्थान की तारीफ भी करते हुए कहते हैं, “यहां क्रिएटिव लोगों के आने के बाद माहौल में बदलाव आ रहा है और साहित्य को एक नई दिशा मिल रही है। यह शुभ संकेत है कि अब नए साहित्यकारों को मंच मिल रहा है, जो भविष्य के लिए बेहद सकारात्मक है।”