देहरादून, उत्तराखंड: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने सख़्त निर्णयों और साफ़-सुथरी छवि के लिए उत्तराखंड में ही नहीं, राष्ट्रीय राजनीति में भी अलग पहचान बना चुके हैं। लोग उन्हें अब “धाकड़ धामी” के नाम से जानने लगे हैं — और इसकी वजह है उनकी वह ज़ीरो टॉलरेंस नीति, जिसने सरकारी तंत्र में अनुशासन और जवाबदेही को एक नई दिशा दी है।
धामी न केवल एक मुख्यमंत्री के रूप में प्रशासनिक निर्णय लेते हैं, बल्कि एक सजग प्रहरी की तरह राज्य में क्या, कब और कहां हो रहा है — उस पर उनकी पैनी नज़र रहती है।
हरिद्वार ज़मीन घोटाले में बड़ा एक्शन
धामी सरकार की सख़्ती की एक और मिसाल हाल ही में हरिद्वार नगर निगम में सामने आई, जहां करोड़ों रुपये के ज़मीन खरीद घोटाले में 12 अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की गई। इनमें शामिल हैं:
- कर्मेंद्र सिंह (जिलाधिकारी, हरिद्वार)
- वरुण चौधरी (पूर्व नगर आयुक्त, IAS)
- अजयवीर सिंह (SDM, PCS)
इनके अलावा अन्य अधिकारियों को भी निलंबित किया गया है। आरोप है कि गंगा किनारे स्थित अनुपयुक्त कृषि भूमि को पारदर्शिता और नियमों को दरकिनार कर 54 करोड़ रुपये में खरीदा गया, जबकि उसकी वास्तविक कीमत इससे कहीं कम थी।
“सरकार अफसर नहीं, नियम चलाएंगे” — धामी का कड़ा संदेश
धामी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वह समय गया जब कुछ अफसर अपने पदों का दुरुपयोग कर सरकार को गुमराह कर सकते थे। ऐसे अफसरों को धामी ने सीधे कार्रवाई के ज़रिए जवाब दिया है।
एक मजबूत और जागरूक नेतृत्व की यही पहचान होती है — जो न केवल निर्णय लेने की क्षमता रखता है, बल्कि उन निर्णयों को निष्पक्षता और सख़्ती से लागू भी करता है।