राजनैतिक कौशल से विरोधियो की लंका तक लाँघ गए पुष्कर सिंह धामी राजनीतिक सूझ-बूझ से विरोधियों को पछाड़ते हुए आगे बढ़े पुष्कर सिंह धामी हर वर्ग में बनी एक मिसाल, जिसे विरोधी भी मानते हैं
देहरादून, उत्तराखंड — मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज उत्तराखंड की राजनीति में एक ऐसा नाम बन चुके हैं, जिनकी सादगी और रणनीतिक कौशल ने उन्हें हर वर्ग में लोकप्रिय बना दिया है। उन्होंने न केवल प्रदेश की बागडोर युवा ऊर्जा के साथ संभाली, बल्कि कठिन परिस्थितियों में अपने नेतृत्व कौशल का परिचय देते हुए विरोधियों तक को अपना मुरीद बना लिया।
राज्य के रजत जयंती वर्ष में, नवंबर का महीना उत्तराखंड के भविष्य के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। इसी अवधि में सरकार कई महत्वपूर्ण फैसलों की ओर अग्रसर होती दिखाई दे रही है।
सबसे युवा मुख्यमंत्री, सबसे बड़ी चुनौतियाँ
चार वर्ष पूर्व जब धामी ने सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में उत्तराखंड की कमान संभाली, तब उनके सामने कई जटिल चुनौतियाँ थीं। शुरुआती दिनों में ही विधानसभा चुनाव में सफलता के बाद उन्हें युवाओं की उम्मीदों पर खरा उतरने की जिम्मेदारी मिली। भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता को लेकर उठे सवालों से उपजा संकट ऐसा ही एक मुद्दा था, जिसे उन्होंने न केवल सुलझाया, बल्कि अपनी निर्णय क्षमता और राजनीतिक परिपक्वता से सबको प्रभावित किया।
आपदा के समय, हमेशा सबसे पहले मौके पर
उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे से लेकर चमोली और थराली जैसी प्राकृतिक आपदाओं तक, धामी हर बार सबसे पहले राहत कार्यों की निगरानी के लिए मौके पर पहुँचे। वर्षा काल के दौरान देहरादून में हुई भारी बारिश और सहस्रधारा क्षेत्र के मझाड़ा गांव की त्रासदी में भी मुख्यमंत्री ने प्रभावितों से सीधा संवाद स्थापित कर राहत एवं पुनर्वास के कार्यों में तेज़ी का आश्वासन दिया।
राजनीतिक शिष्टाचार का उदाहरण
मुख्यमंत्री धामी ने राजनीति में विनम्रता और परिपक्वता का बेहतरीन उदाहरण पेश करते हुए दीपावली के अवसर पर सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से भेंट की — चाहे वे भाजपा के हों या कांग्रेस के। उन्होंने भुवन चंद्र खंडूड़ी, भगत सिंह कोश्यारी, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत के साथ-साथ वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत से भी आत्मीय मुलाकात कर शुभकामनाएं दीं।
हरीश रावत की कार दुर्घटना की जानकारी मिलते ही उन्होंने फ़ौरन हालचाल लिया और बाद में व्यक्तिगत रूप से मिलकर उनका हाल जाना, जो राजनीतिक शिष्टाचार की एक बेहतरीन मिसाल मानी जा रही है।
कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद और ‘स्वदेशी अपनाओ’ का संदेश
दीपोत्सव के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने भाजपा कार्यकर्ताओं से भी संवाद कायम रखा। उन्होंने सभी जिलाध्यक्षों से वर्चुअल माध्यम से बात की, उन्हें दीपावली की बधाई दी और सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुँचाने की अपील की।
इस दौरान ‘स्वदेशी अपनाओ’ अभियान को भी उन्होंने विशेष रूप से बढ़ावा दिया। बाजारों में जाकर स्वदेशी उत्पादों को खरीदा और जनता को भी देसी उत्पादों को अपनाने का प्रेरणादायक संदेश दिया।
निष्कर्ष:
पुष्कर सिंह धामी ने यह सिद्ध कर दिया है कि सादगी, संजीदगी और सक्रियता के साथ यदि नेतृत्व किया जाए तो विरोधी भी आपके प्रशंसक बन सकते हैं। उनके राजनीतिक कौशल, संवेदनशीलता और जनता से जुड़ाव ने उन्हें उत्तराखंड की राजनीति में एक मजबूत और भरोसेमंद चेहरा बना दिया है।