स्थिर सरकार के ध्वज वाहक सियासत पिच पर नाबाद धामी देहरादून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद वाले उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने मजबूत इरादों से जनता के भरोसे को जीतकर हर चुनाव में अपनी जीत का परचम लहरा कर भाजपा सरकार के सबसे लम्बे समय तक अस्थिर सरकार का मिथक तोड़कर स्थिर सरकार के ध्वज वाहक
भाजपा मुख्यमंत्री बन गए है दोनों कार्यकालों के चार साल में पुष्कर सिंह धामी सरकार बीजेपी हाई कमान की कसौटी पर चौबीस कैरट सोना बनकर उभरे है।
पुष्कर सिंह धामी सरकार फैसले आज देश भर में नजीर के रूप में सामने है युवा दिलो से लेकर हर दिल अजीज पुष्कर हर मोर्चे पर मुस्तैदी से डटे रहे उत्तराखंड में आपदा का संकट हो या फिर राजनैतिक विरोधियो द्वारा परिवर्तन की फैब्रीक्रिटेड खबरों का मायाजाल बुना जाना हो लेकिन अपने राजनैतिक कौशल से धामी हर जंग का बखूबी पटलवार करते देखे गए है।

मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उन्हें लगातार चार साल हो गए। ये उनके दो कार्यकालों के चार साल हैं, जिनमें उन्होंने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करके देश भर में विशेष पहचान बनाई और खूब सुर्खियां बटोरीं।
चार साल पहले 4 जुलाई में पुष्कर सिंह धामी को राज्य की बागडोर सौंपी गई थी। तब विधानसभा चुनाव में सिर्फ छह-सात महीने शेष थे। नए युवा चेहरे के कंधों पर भाजपा को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी थी। सत्तारूढ़ दल की वापसी न कर पाने का मिथक उत्तराखंड में बन गया था। मगर पुष्कर सिंह धामी मिथक तोड़कर भाजपा को विधानसभा चुनाव जिताकर इतिहास बनाने वाले पहले ऐसे मुख्यमंत्री बने जो राज्य में अपनी सरकार को फिर से सत्ता में वापिसी करा पाए।
पुष्कर सिंह धामी के हाथों में ही कमान सौंपकर भाजपा हाईकमान ने भी नई इबारत लिख डाली। धामी को भले ही खटीमा से चुनाव हारवा पाने में उनके राजनैतिक विरोधी कामयाब रहे लेकिन उनका सपना आज तक पूरा नहीं हो सका तब से लेकर अब तक केंद्रीय नेतृत्व के लिए पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड में भाजपा के सबसे विश्वसनीय चेहरा साबित होकर चौबीस कैरट सोना बनकर उभरे हुए हैं। चाहे यूसीसी लागू करने की बात रही हो या फिर नकल विरोधी, धर्मांतरण विरोधी जैसे कानूनों की, धामी ने उन्हें अमल में लाने में देरी नहीं की।

पुष्कर सिंह धामी के व्यवहार में सौम्यता और एक्शन में कठोरता हमेशा उत्तराखंड में दिखी। उनके कामकाज को मान्यता देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी कई बार उत्तराखंड आए। पीठ थपथपाई और साफ संदेश दिया कि वह बगैर किसी चिंता के इसी गति से काम करते रहें। बाबा केदारनाथ धाम की धरती से मोदी के कथन 21 वी सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक होगा आज उत्तराखंड में धामी सरकार पब्लिक डोमेन में डिलीवरी देने वाली सरकार के रूप में पसंद की जा रही है
उत्तराखंड में सबसे बड़ा सांस रोकने वाला सिलक्यारा टनल प्रकरण रहा हो या फिर रोमांच की पराकाष्ठा वाले राष्ट्रीय खेल, अपनी क्षमताओं के इम्तिहान में धामी पूरे नंबर लाकर पास हुए।

राष्ट्रीय फलक पर छाए फैसले, देश के लिए बने मॉडल
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चार साल के कार्यकाल में समान नागरिक संहिता, नकल विरोधी कानून, धर्मांतरण रोकथाम कानून के संबंध में लिए गए फैसले राष्ट्रीय फलक पर छाए और देश के लिए मॉडल बने।
- नकल रोधी कानून: नकल माफिया का कुचक्र तोड़ने के लिए फरवरी 2023 में उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा में नकल रोकने के लिए( भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) कानून लागू किया। यह देश के लिए एक मॉडल नकल रोधी कानून बना।
- यूसीसी हुआ लागू: 27 जनवरी 2025 से उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना। इसके बाद कुछ अन्य भाजपा शासित राज्यों ने भी यूसीसी के लिए पहल की। यूसीसी के तहत प्रदेश में दो लाख से अधिक रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं।
- दंगाइयों से वसूली के लिए बनाया कानून: दंगा, हड़ताल, विरोध प्रदर्शन में सार्वजनिक व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों से बाजार भाव पर नुकसान की भरपाई के लिए 2024 से उत्तराखंड लोक एवं निजी संपत्ति क्षति वसूली कानून लागू किया।
- गैंगस्टर एक्ट को बनाया सख्त: गैंगस्टर एक्ट में संशोधन करते हुए गो वध, मानव तस्करी, बाल श्रम, बंधुआ मजदूरी, नकल माफिया, मनी लॉड्रिंग जैसे अपराधों को इसके दायरे में लाया गया। दोष सिद्ध होने पर 10 साल की गैर जमानती साज और 50 हजार रुपये तक जुर्माना प्रावधान किया गया।
- राज्य आंदोलनकारियों और महिला को आरक्षण
धामी सरकार ने उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के लिए सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को फिर से लागू किया। राज्य की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 33 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया।
धामी सरकार में इन फैसलों ने भी बटोरी सुर्खियां
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