फोटो, सियासत और मुंगेरी लाल के हसीन सपने! 

फोटो, सियासत और मुंगेरी लाल के हसीन सपने! 90 के दशक में टीवी सीरियल इतना लोकप्रिय हुआ करता था ठीक वैसे ही एक फोटो काफी वायरल हुई तो लोगो को याद आ गए मुंगेरीलाल के हसीन सपने

देहरादून बरसात के इस मौसम में उत्तराखंड की वादियां झक हरे रंग में तब्दील हो गई हैं। इंद्रदेव के रौद्र रूप के बावजूद खूबसूरत हरे पहाड़ों की तस्वीर देखते ही बनती है। 

वो कहावत है ना, कि सावन के अंधे को सब हरा ही हरा दिखता है। सत्ता के गलियारों के नारद बताते हैं, कहावत को पहाड़ी राज्य के कुछ नेताओं ने सीरियसली ले लिया है। तभी तो वो एक औपचारिक लम्हे की फोटो के बहाने बॉलीवुड तराने को याद कर रहे हैं…..’गाता रहे, मेरा दिल, तू ही मेरी मंजिल’….ऐसा कुछ। 

लेकिन जनाब इस पार्टी और यहां की राजनीति अलग है। यहां जो दिखता है वो दरअसल होता नहीं है। सालों पहले भारतीय टेलीविजन स्क्रीन पर एक सीरियल आया करता था। मुंगेरी लाल के हसीन सपने! मुंगेरी का रोल अदा करते थे मशहूर एक्टर रघुबीर यादव। कद में छोटे हैं जरूर लेकिन कलाकार बड़े हैं। मुंगेरी अपना काम-धाम छोड़कर दिन दहाड़े सपने देखने लगते था – वो भी एक से बढ़कर एक! 

वैसे सपनों का क्या है। आंखें बंद की और सपने शुरू! उत्तराखंड के मुंगेरी और उनके गुरु भी आजकल हरे भरे सपने देख रहे हैं। जो ताजा सपना देखा है, उसे याद करके खुश हो रहे हैं और “क्या पता” – “क्या पता” कहते हुए अपने कुर्तों की कलफ को बार बार निहार रहे हैं। 

अपना मुंगेरी भी टीवी वाले मुंगेरी की तरह ही है, मंझा हुआ कलाकार! अपने मुंगेरी के अंदर उनके दो गुरुओं ने खूब कोशिश के बाद हीलियम गैस भरी है। जो ऑक्सीजन से हल्की होती है लिहाजा जिसके अंदर भरें, वो उड़ने लगता है। राजनीति के खबरची बताते हैं, पूरे तीन से चार महीने लग गए, तब जाकर छोटे मुंगेरी के गुब्बारे में हवा भर पाई और वो उड़ पाया। दोनों गुरु अपने मुंगेरी के गर्म गैस वाले गुब्बारे को निहार ही रहे थे कि वो गुब्बारा तेजी से नीचे आने लगा। दरअसल उड़ तो गैस रही थी और मुंगेरी को लगा कि उड़ वो रहा है। ये ही तो खास बात है राजनीति हीलियम गैस की। 

ये पहली बार नहीं जब मुंगेरी को सपने में खो जाने दिया गया हो। एक बार पहले भी मुंगेरी को हेलीकॉप्टर से आनन फानन में बुलवाया गया था। सपना दिखाया गया, लेकिन तब आंख फड़क ही रही थी कि मुंगेरी को जोर का शोर सुनाई दिया और झटके से आंख खुली। एक युवा नेता के हाथों प्रदेश की कमान दी जा चुकी थी, जो अभी भी पिच पर धुआंधार बैटिंग कर रहा है। ..खैर तब बेचारा मुंगेरी अपना सा मुंह लेकर लौट गया। 

तब मुंगेरी को उसके कथित गुरुजी ने सपने दिखाए थे। इस बार फिर गुरुजी के साथ एक और सपने के सौदागर ने मुंगेरी को “ड्रीम जॉब” पाने का थका हारा फॉर्मूला बताया। फॉर्मूला भी वो, जिसको खुद कई बार आजमा चुके थे और हाथ लगा ठन ठन गोपाल। इस बार एक के साथ दो फ्री वाली स्कीम जैसी तिगड़ी के दूत गाते फिर रहे हैं, सपना सावन में देखा है और सुबह सुबह देखा है, तो बॉस इसलिए सच होगा, बाई गॉड पक्का! 

लेकिन इनकी बात पर सत्ता के गलियारों में चटखारे लिए जा रहें हैं। जो राजनीति की समझ रखते हैं उनको पता है – सपने तो सपने होते हैं। और फिर सावन के अंधे को हरा ही हरा भी तो दिखता है ना! 

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