अद्भुत और अनोखी है ‘मायापुरी’ की शक्तिपीठ की कहानी, यहीं गिरी थी माता सती की नाभि और दिल
हरिद्वार (मायापुरी क्षेत्र) में पुरातन काल से ही तीन शक्तिपीठ त्रिकोण के रूप में स्थित हैं। त्रिकोण के उत्तरी कोण में मनसा देवी, दक्षिण में शीतला देवी और पूर्वी कोण में चंडी देवी स्थित है।
विश्व प्रसिद्ध धर्म स्थल हरिद्वार में हर कदम पर देवी-देवताओं का वाास है। यहां पूजा-पाठ करने का विशेष महत्व है। 52 शक्तिपीठों में से माया देवी मंदिर एक है। यह वह स्थान है जहां देवी सती का हृदय और नाभि गिरी थी। मायादेवी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी भी हैं। प्राचीन काल में हरिद्वार को मायापुरी के नाम से जाना जाता था।
हरिद्वार (मायापुरी क्षेत्र) में पुरातन काल से ही तीन शक्तिपीठ त्रिकोण के रूप में स्थित हैं। त्रिकोण के उत्तरी कोण में मनसा देवी, दक्षिण में शीतला देवी और पूर्वी कोण में चंडी देवी स्थित हैं। इस त्रिकोण के मध्य पूर्वाभिमुख स्थित होने पर वाम पार्श्व अर्थात उत्तर दिशा में क्षेत्र की अधिष्ठात्री भगवती माया देवी और दक्षिण पार्श्व में माया के अधिष्ठाता भगवान शिव श्री दक्षेश्वर महादेव के रूप में स्थित हैं। यहां पूजा-अर्चना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नवरात्र में मां के दरबार में शीश नवाने रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इन दिनों मंदिर की साज-सज्जा भी देखते ही बन रही है।