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भगवान शिव के हाथ रहती है तीन लोको की सत्ता

भगवान शिव के हाथ रहती है तीन लोको की सत्ता Lord Shiv Sawan Month Bholenath MahashivRatri चातुर्मास में भगवान श्री हरि विष्णु योगनिद्रा में विराजमान हो गए हैं अब तीनों लोकों की सत्ता महादेव Lord Shiv भगवान शिव भोले भंडारी के हाथों में है। धार्मिक मान्यता है कि इस दौरान महादेव राजा दक्ष प्रजापति को दिए वचन के अनुसार धर्मनगरी हरिद्वार के कनखल स्थित दक्षनगरी में प्रवास करते हैं और यहीं से वह तीनों लोक की सत्ता का संचालन करते हैं।

भगवान शिव के कई नामो से उनको पुकारा जाता है भोले शंकर का रूप सावन महीने में एक अलग तरह का देखा जा सकता है भगवान शिव के रूप में कई तरह के मान्यता भी प्रचलित है सावन महीने में पड़ने वाली भगवान शिव शंकर भोलेनाथ की MahashivRatri महाशिवरात्रि में भोले के भक्तों का रूप कावड़ यात्रा के रूप में पूरे देश भर से हरिद्वार में माँ गंगा के घाटों पर देखा जा सकता है। भक्ति के रस में भरे भोले नाथ के जयकारो से पूरा नगर मंडल भोले नाथ के रूप में विराजमान होता है।

भगवान शिव शंकर भोले नाथ का सावन महीने उनको सबसे अधिक प्रिय है इसके पिछले वजह उनकी भक्ति में Bholenath भोलेनाथ के भोले है जो सावन में कावड़ यात्रा को लेकर शिव रात्रि में शिवलिंग में जल चढ़ाकर भगवान को मनोकामना पूरी करने की कोशिश करते है आस्था के संगम में सावन का महीने भगवान शिव शंकर भोले नाथ के रूप में लोकप्रिय है शिव मन्दिरो में अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए शिव भक्त अनूठी पूजा करते है।

सूर्य के कर्क राशि में आने पर यह एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ माना जाता है। पुराणों में वर्णित है कि इस दिन से भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और फिर लगभग चार माह बाद तुला राशि में सूर्य के जाने पर शयन से उठते हैं। उस दिन को देवोत्थानी एकादशी कहा जाता है।

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