स्वास्थ्य प्राधिकरण ने कालिंदी अस्पताल को सूची से हटाया, 243 मामलों में फर्जी साइन कर मांगा क्लेम
डॉ. रावत ने लिखित रूप से बताया कि जो भी क्लेम किए गए हैं, उनमें न तो उनकी हैंडराइटिंग है और न ही हस्ताक्षर। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने कालिंदी अस्पताल की सूचीबद्धता तत्काल समाप्त करते हुए उसका इंपेनलमेंट खत्म कर दिया है।
देहरादून के विकासनगर के जीवनगढ़ के कालिंदी अस्पताल ने एक डॉक्टर के फर्जी हस्ताक्षर से स्वास्थ्य योजनाओं के तहत 243 मामलों का क्लेम मांगा। इसकी जांच में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अस्पताल की सूचीबद्धता खत्म कर दी है। साथ ही अस्पताल के खिलाफ अलग से विधिक कार्रवाई भी की जा रही है।
दरअसल, विकासनगर के कालिंदी हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट ने राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के समक्ष मुफ्त इलाज के 243 मामलों का क्लेम मांगा था। इनमें 173 मामले यूरोलॉजी स्पेशलिटी, 48 मामले जनरल मेडिसिन स्पेशलिटी और 22 मामले जनरल सर्जरी स्पेशलिटी के थे। इन सभी में डॉ. एचएस रावत के नाम व हस्ताक्षर का इस्तेमाल करते हुए क्लेम किया गया था।
मामले की शिकायत आने के बाद राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने कालिंदी अस्पताल को निलंबित करते हुए उसके चेयरमैन सतीश कुमार जैन को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया था। नोटिस का जवाब देते हुए सतीश जैन ने कहा था कि हस्ताक्षर डॉ. एचएस रावत के ही हैं। मामले की गहराई से पड़ताल की गई तो पता चला कि अस्पताल प्रशासन ने ऑपरेशन के जो मामले दिखाए थे, उनमें डॉ. रावत के बजाय किसी और के हस्ताक्षर थे।
प्राधिकरण ने माना कि यह और भी गंभीर मामला है। लगता है कि गलत तरीके से मरीजों की जान से खिलवाड़ करते हुए ऑपरेशन किए गए हैं। नियमानुसार डॉ. रावत का नाम प्राधिकरण की ओर से उपलब्ध कराए गए पोर्टल पर पंजीकृत होना चाहिए था जो कि नहीं था। डॉ. रावत ने लिखित रूप से बताया कि जो भी क्लेम किए गए हैं, उनमें न तो उनकी हैंडराइटिंग है और न ही हस्ताक्षर।
मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने कालिंदी अस्पताल की सूचीबद्धता तत्काल समाप्त करते हुए उसका इंपेनलमेंट खत्म कर दिया है। अब यहां प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना और राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना के तहत निशुल्क इलाज की सुविधा नहीं मिलेगी। प्राधिकरण के अपर निदेशक अतुल जोशी की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ अलग से विधिक कार्रवाई की जाएगी।