जोशीमठ डिजास्टर गुड वर्कआउट में पुष्कर सरकार
देहरादून पहाड़ पर आपदा ने जोशीमठ जैसे एरिया को नेशनल मीडिया के माध्यम से पूरे देश में चर्चा का केंद्र बना दिया है ऐसे में पुष्कर सरकार तेजी से वर्क आउट करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर आदेश पर काम कर रही है जोशीमठ को हिमालय का गेटवे भी कहा जाता है परिवारों को राहत देती सरकार मोर्चे पर डटी है धामी का कुशल नेतृत्व प्रभावित एरिया के लिए उम्मीद बन गया है पुष्कर सरकार हर प्रभावित व्यक्ति के साथ खड़ी नजर आ रही है।
शनिवार को राज्य के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ग्राउंड जीरो पर दहशत की दरारों को देखकर अफसरों की मीटिंग में रोजाना फीडबैक लेकर नजर बनाए हुए है राजा के पास अगर अच्छी कुशलता है तो किसी भी मुश्किल समय से पार पाया जा सकता है पुष्कर सरकार जोशीमठ की प्राकृतिक आपदा पर मरहम लगाती हुई देखी जा रही है विपक्ष सरकार को आरोप प्रत्यारोप से सियासत कर रही है।
बेहतर होता सरकार को राहत के लिए अच्छे सुझाव विपक्ष देता तो जोशीमठ में प्रभावित लोगो को लाभ मिलता लेकिन सियासत में अब संवेदनाएं खत्म होती जा रही है जोशीमठ अपने धार्मिक स्वरूप के खत्म होने से चिंतित है ये चिंता सबकी होनी जरूरी है तभी मिलकर प्राकृतिक आपदा का सामना किया जा सकता है। ऐसे समय में सामूहिक सुझाव राहत प्रदान करने वाले होने जरूरी है जबकि विपक्ष आहत भरे बयान मीडिया में देकर हर उस उम्मीद को तोड़ने का काम कर रहा है जो दिन रात प्रभावित एरिया में डटे है ऐसे समय में सियासत की नही सामूहिक ताकत से मुकाबले की जरूरत हैं ताकि जोशीमठ को बचाया जा सके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) के अधिकारियों एवं सदस्यों ने भेंट की। उन्होंने मुख्यमंत्री से जोशीमठ भू धसांव से उत्पन्न स्थिति के बाद राहत एवं बचाव कार्यों के संबंध में चर्चा की। सभी ने उत्तराखण्ड सरकार द्वारा जोशीमठ भू धसांव क्षेत्र में संचालित राहत एवं बचाव कार्यों के प्रयासों की सराहना की तथा मुख्यमंत्री को जोशीमठ क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थिति एवं भूधसांव के कारणों की जांच तथा आपदा राहत में केंद्रीय मदद का भरोसा दिया।
एनडीएमए सदस्यों का सुझाव था कि भूधसांव क्षेत्र में पानी कहां रूका हुआ है तथा भूधसांव के कारण क्या हैं, इसका पता लगाया जाना जरूरी है। इसके लिये सभी संबंधित संस्थानों के वैज्ञानिकों का सक्रिय सहयोग लिया जायेगा ताकि समस्या का समाधान हो। साथ ही आपदा पीड़ितों के पुनर्वास हेतु चयनित स्थलों का भी भूगर्भीय सर्वेक्षण पर ध्यान दिया जाय। इस समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में भी कार्य योजना बनाये जाने तथा इस संबंध में सभी संस्थानों द्वारा दी गई रिपोर्टों पर की जाने वाली कार्यवाही एक छत के नीचे हो ताकि अध्ययन रिपोर्टों का त्वरित लाभ प्राप्त हो।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एनडीएमए के अधिकारियों एवं सदस्यों से भू धसांव क्षेत्र की भूगर्भीय तथा अन्य आवश्यक जांच में सभी संबंधित संस्थाओं के समन्वय के साथ कार्य योजना में सहयोग की अपेक्षा की। उन्होंने उत्तराखण्ड के अन्य शहरों की धारण क्षमता के आकलन हेतु भी आवश्यक वैज्ञानिक शोध एवं परीक्षण आदि की अपेक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि जोशीमठ का सांस्कृतिक, पौराणिक के साथ सामरिक महत्व भी है। यह बदरीनाथ का प्रवेश द्वार है।
उन्होंने कहा कि इस शहर को उसके पूर्व स्वरूप में लाने के लिये हमें समेकित प्रयासों की जरूरत रहेगी। राज्य सरकार युद्ध स्तर पर आपदा पीड़ितों की मदद की जा रही है। किसी भी पीड़ित को कोई कठिनाई न हो तथा उन्हें सभी अवश्यक सुविधायें मिले इसके निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं।
इस अवसर पर सचिव गृह मंत्रालय डी. एस. गंगवार, संयुक्त सचिव एस के जिंदल, एनडीएमए के सदस्य कमल किशोर, ले. ज. से.नि. सैयद अता हसनैन, कृष्ण वत्स, राजेन्द्र सिंह के साथ अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।