जोशीमठ में पहाड़ की तरह खड़े पुष्कर अफसर फैल दिल्ली तक खबरों का रायता लेकिन अभी कई तरह के राज से पर्दा उठना बाकि है जिसमे सबसे प्रमुख वजह जोशीमठ में आपदा का वो सच भी शामिल है पानी के सैंपल की रिपोर्ट आने में वक्त अधिक लग रहा है ऐसे में जोशीमठ को बचाये जाने के लिए सरकार की कोशिशों को पहाड़ के रूप में डटकर खड़े मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोशीमठ के साथ खड़े नज़र आ रहे है लेकिन सरकार के कैबिनेट मंत्रियो का मुँह फेरे खड़ा होना विपक्ष को मजबूती दे रहा है फिलहाल जोशीमठ में आपदा की मीडिया में खबरे चलाकर उत्तराखंड के पर्यटन पर बड़ा प्रभाव डाला जा चूका है जिम्मेदार अफसर जोशीमठ की खबरों को लेकर पूरी तरह फैल साबित हुए है जिसने उत्तराखंड सरकार की देश भर में किरकिरी करवा डाली है।
ये खबर अमर उजाला के कंटेंट का हिस्सा है जोशीमठ में भू-धंसाव की ताजा स्थितियों के बीच करीब 20 दिन बीत जाने के बाद रोज हालात बदल रहे हैं। राज्य सरकार बदलती परिस्थितियों के अनुसार फैसले ले रही है। सरकार को आठ वैज्ञानिक संस्थानों की फाइनल रिपोर्ट का इंतजार है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही जोशीमठ का भविष्य तय होगा। लेकिन अभी कई तरह के राज से पर्दा उठना बाकि है जिसमे सबसे प्रमुख वजह जोशीमठ में आपदा का वो सच भी शामिल है पानी के सैंपल की रिपोर्ट आने में वक्त अधिक लग रहा है।
ऐसे में जोशीमठ को बचाये जाने के लिए सरकार की कोशिशों को पहाड़ के रूप में डटकर खड़े मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोशीमठ के साथ खड़े नज़र आ रहे है लेकिन सरकार के कैबिनेट मंत्रियो का मुँह फेरे खड़ा होना विपक्ष को मजबूती दे रहा है फिलहाल जोशीमठ में आपदा की मीडिया में खबरे चलाकर उत्तराखंड के पर्यटन पर बड़ा पर प्रभाव डाला जा चूका है जिम्मेदार अफसर जोशीमठ की खबरों को लेकर पूरी तरह फैल साबित हुए है जिसने उत्तराखंड सरकार की देश भर में किरकिरी करवा डाली है।
सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, रुड़की (सीबीआरआई) को सरकार ने नोडल एजेंसी बनाया है। जो अपने काम के साथ ही सभी दूसरी एजेंसी की रिपोर्ट का अध्ययन करेगी और रिपोर्ट देने के साथ ही सरकार के साथ समन्वय बनाने का काम करेगी।
जोशीमठ में असुरक्षित हुए भवनों का चिह्नीकरण, दरार वाले भवनों में क्रेक मीटर लगाकर उनकी मॉनिटरिंग और असुरक्षित भवनों को तोड़ने का काम संस्थान के वैज्ञानिकों की देखरेख में किया जा रहा है। इसके अलावा अस्थाई पुनर्वास के लिए प्री-फेब्रीकेटेड मॉडल भवन भी संस्थान की देखरेख में उसकी और से नामित एजेंसी की ओर से बनवाए जा रहे हैं। संस्थान के पांच वैज्ञानिकों की देखरेख में 30 इंजीनियरों की टीम जोशीमठ में काम कर रही है। संस्थान की ओर से अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट तीन सप्ताह में सौंपनी है।