spot_img
Monday, December 9, 2024
HomeExclusive Storyहाइड्रोजन ट्रेन को हरी झंडी की तैयारी

हाइड्रोजन ट्रेन को हरी झंडी की तैयारी

केंद्र सरकार भारतीय रेलवे का कायाकल्प के लिए लगातार कोशिश कर रही है। इसमें यात्रियों को सुरक्षा देने से लेकर ट्रेनों में कवच सिस्टम लगाना भी शामिल है। इस बीच भारतीय रेलवे ने हाइड्रोजन गैस से ट्रेन चलाने की तैयारी शुरू कर दी है। रेलवे बोर्ड के सदस्य अनिल कुमार खंडेलवाल ने कहा कि भारत इस साल अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन का संचालन शुरू कर देगा। 2047 तक ऐसी ट्रेनों की संख्या बढ़कर 50 हो जाएगी।

रेलवे बोर्ड के सदस्य अनिल कुमार खंडेलवाल का कहना है कि 16 जुलाई को कवच के चौथे वर्जन का अंतिम विनिर्देश कर लिया गया है। अब हम इसे पूरे देश में लागू करने जा रहे हैं। 1,400 किलोमीटर के ट्रैक पर काम पूरा हो चुका है। दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा के 3,000 किलोमीटर के लिए बोलियां स्वीकार की जा रही हैं। इस बजट में रेलवे को 2,62,200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसमें से करीब 1.08 लाख करोड़ रुपये केवल सुरक्षा बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाएंगे।

रेलवे अफसरों का कहना है कि गति शक्ति के आने से काम की रफ्तार में इजाफा हुआ है। अब सालाना 70 से 80 प्रोजेक्ट अप्रूवल किए जा रहे हैं, इनकी संख्या पहले 7 से 8 थी। रेलवे प्रतिदिन 14.50 किलोमीटर ट्रैक का निर्माण कर रहा है। पिछले वर्ष 5,000 किलोमीटर के ट्रैक का निर्माण किया गया। उन्होंने बुलेट ट्रेन को लेकर कहा कि 2027 तक देश में पहली बुलेट ट्रेन देखने को मिल सकती है।

क्या है हाइड्रोजन ट्रेन:
हाइड्रोजन ट्रेन हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली ट्रेन है। इस रेलगाड़ियों में डीजल इंजन के बजाए हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स लगाए जाते है। ये ट्रेनें कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन या पार्टिकुलेट मैटर जैसे हानिकारक प्रदूषकों का उत्सर्जन नहीं होता। इन ट्रेनों के चलने से प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स की मदद से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को बदलकर बिजली पैदा की जाती है। इसी बिजली का इस्तेमाल ट्रेन को चलाने में किया जाता है।

ट्रेन की खासियत:
हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों को हाइड्रेल भी कहते है। इस ट्रेन की खासियत की बात करें, तो ये ट्रेनें बिना धुआं छोड़े दौड़ेंगी, जिससे प्रदूषण नहीं होगा। इस ट्रेन में 4 से 6 कोच होंगे। सबसे पहले ये ट्रेन हरियाणा के जींद और सोनीपत के बीच चलेगी। इसके बाद दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे, कालका शिमला रेलवे, माथेरान रेलवे, कांगड़ा घाटी, बिलमोरा वाघई और मारवाड़-देवगढ़ मदारिया रूट पर चलेगी। ये ट्रेन 140 किमी/घंटे की रफ्तार से 1000 किमी दौड़ सकती है। हालांकि भारत में चलने वाली ये ट्रेने फिलहाल 100 किमी की दूरी तय करेगी। रेलवे के कपूरथला और इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में इन ट्रेनों को तैयार किया जा रहा है।

केंद्रीय बजट में रेलवे को 2 लाख 62 हजार करोड़ का बजट आवंटन दिया है। इसमें 1 लाख 8 हजार करोड़ रुपये सेफ्टी बढ़ाने के लिए है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि पीएम मोदी ने 10 वर्षों में रेलवे को मजबूत करने के हर तरीके पर ध्यान दिया है। 2014 के पहले 60 साल देखें तो 20,000 किलोमीटर रेलवे का विद्युतीकरण हुआ था। 10 सालों में 40,000 किलोमीटर रेलवे विद्युतीकरण हुआ है। 2014 में नए ट्रैक 3 से 4 किलोमीटर एक दिन में बनते थे। पिछले वर्ष 14.50 किलोमीटर प्रतिदिन, पूरे साल में 5,300 किलोमीटर नए ट्रैक बने हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments