फाल्गुन माह की शुरुआत हो चुकी है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होने के कारण अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। फाल्गुन, हिंदू कैलेंडर का अंतिम महीना है, जिसके बाद चैत्र माह आता है, जो हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। इस समय महाशिवरात्रि और होली जैसे प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। होली से पहले आठ दिन की अवधि होती है, जिसे होलाष्टक कहा जाता है।
होलाष्टक के दौरान किसी भी नए या शुभ कार्य को करना अशुभ माना जाता है। हिंदू परंपराओं के अनुसार, इन आठ दिनों में ग्रहों की स्थिति अनुकूल नहीं होती, जिससे जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं में विघ्न उत्पन्न हो सकता है। इसलिए इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश और नामकरण जैसे शुभ कार्यों को स्थगित किया जाता है। हालांकि, इस अवधि का आध्यात्मिक महत्व भी है, और इसे शांति तथा सकारात्मकता बनाए रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है। आइए जानते हैं इस समय क्या करें और क्या न करें।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, 2025 में होलाष्टक 7 मार्च से शुरू होगा और 13 मार्च को होली से एक दिन पहले समाप्त होगा। यह अवधि होलिका दहन के साथ समाप्त होती है, जो नकारात्मकता के नाश और रंगों के उल्लास के त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है।
होलाष्टक के दौरान हनुमान चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। इन पवित्र श्लोकों का पाठ करने से घर में शांति, सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके अलावा, जरूरतमंदों को दान देना चाहिए। वंचितों को भोजन, कपड़े और धन देना पुण्य कार्य है, जो समृद्धि और आशीर्वाद को आकर्षित करता है। होलाष्टक के दौरान पितृ तर्पण भी करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने से उनका आशीर्वाद और सकारात्मक कर्म प्राप्त होता है। ग्रह शांति पूजा भी करनी चाहिए। इन अनुष्ठानों के माध्यम से ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है, जिससे जीवन में सद्भावना और सुख-शांति का वास होता है।
होलाष्टक के दौरान विवाह या किसी भी मांगलिक कार्य का आयोजन न करें। इस समय विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और नामकरण जैसे समारोहों का आयोजन करना मना होता है। नई घर निर्माण की शुरुआत भी इस समय से बचना चाहिए। इसके अलावा, सोने, चांदी या वाहन की खरीदारी से भी बचें, क्योंकि इस समय कीमती धातुओं, संपत्ति या वाहनों की खरीद अशुभ मानी जाती है। किसी नए व्यवसाय या नौकरी की शुरुआत भी इस दौरान नहीं करनी चाहिए। होलाष्टक के बाद तक इंतजार करना उत्तम माना जाता है।