हरक से बीजेपी को नहीं हरदा को पड़ेगा फरक Harak Singh Rawat Anukriti Gosain Poltics देहरादून उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 से पहले बीजेपी कांग्रेस में नेताओं का पाला बदलाने का खेल जारी है सियासत में अपने विरोधी को सबक सीखने के लिए हर कोई तैयार नज़र आ रहा है उत्तराखंड में 14 फरवरी को मतदान किया जाना है ऐसे में राज्य के अंदर बीजेपी सत्ता में बने रहने तो वही कांग्रेस सत्ता में वापिसी के लिए अपना राजनैतिक विजन तैयार कर रही है चुनावी समर कई महारथी अपनी राजनैतिक जमीन को बचाने की कोशिश करते हुए भी नज़र आ रहे है पब्लिक फिगर वाले नेता तो अपना वजूद बचा पाने में कामयाब रहेंगे लेकिन जिनका राजनैतिक वजूद नहीं हो इस बार विधानसभा चुनाव में अपना किला नहीं बचा पाएंगे।
उत्तराखंड में बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को बीजेपी के साथ साथ कैबिनेट मंत्री पद से हटा दिया था हरक सिंह के पास वन पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, श्रम, कौशल विकास एवं सेवायोजन, आयुष व आयुष शिक्षा तथा ऊर्जा विभाग थे। दिल्ली तीसरी बार जाने से पहले हरक सिंह रावत ने कहा सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला हरीश रावत ने कुछ कहा है ऐसे में अभी उनके पत्ते खोले जाने शेष है वो अपनी पुत्र वधु अनुकृति गुसाई के लिए टिकट का दवाब बना रहे है
अनुकृति ने कहा कि आज उत्तराखंड को अगर किसी चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है, तो वह महिला नेतृत्व की है। महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। उत्तराखंड की बहनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मैंने हर कोशिश की है। लैंसडाउन की जनता ने यह मन बनाया है कि वह अपनी बेटी का समर्थन करेगी। लैंसडाउन का नेतृत्व उनकी बेटी एक दिन राज्य में और फिर राष्ट्र में करेगी। दिल्ली वो कांग्रेस का दामन थाम सकते है।
हरक सिंह रावत उत्तराखंड की सियासत में पाला बदलने वाले नेताओं में शुमार हो चुके है 2016 में वो हरीश रावत की सरकार के समय कांग्रेस के विधायकों को बीजेपी में लेकर चले गए थे जिसके बाद पांच साल तक सरकार में मंत्री बने रहे लेकिन बीजेपी में उनके पार्टी में दवाब की राजनीती को सहन नहीं किया जिसका नतीजा पार्टी ने उनको कैबिनेट मंत्री पद से हटाते हुए बीजेपी से 6 सालो के लिए हटा दिया। हरक सिंह रावत जहाँ भी रहे वो दवाब की राजनीती में माहिर रहे हरीश रावत सरकार के समय कभी भी हरदा से हरक से सुर नहीं मिले जिसका नतीजा आज तक दोनों के बीच नज़र आता है। हरक सिंह रावत अगर कांग्रेस ज्वाइन करते है तो इसका फरक बीजेपी को नहीं बल्कि हरीश रावत को कांग्रेस में रहकर पड़ेगा