चारधाम यात्रा 2025 का भव्य शुभारंभ: इस बार सुविधाओं और व्यवस्थाओं में कई नई पहलें
उत्तराखंड में पवित्र चारधाम यात्रा 30 अप्रैल से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ विधिवत शुरू हो चुकी है। वर्ष 2025 की यह यात्रा कई मायनों में खास होने वाली है, जिसमें श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए अनेक नई व्यवस्थाएँ लागू की गई हैं।
चारधाम यात्रा राज्य की आर्थिकी का एक महत्वपूर्ण आधार है। यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इससे जुड़े होटल, लॉज, परिवहन और घोड़ा-खच्चर व्यवसाय से हजारों लोगों की आजीविका भी जुड़ी हुई है।
केदारनाथ और यमुनोत्री मार्ग पर 4300+ घोड़ा-खच्चर संचालक तैनात
इस बार केदारनाथ और यमुनोत्री के पैदल मार्गों पर 4300 से अधिक घोड़ा-खच्चर संचालक तीर्थयात्रियों की सेवा के लिए उपलब्ध रहेंगे।
- केदारनाथ मार्ग पर, अब तक 2493 संचालकों ने पाँच हजार से अधिक घोड़ों और खच्चरों का पंजीकरण करवाया है।
- पशुपालन विभाग द्वारा इन पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण कर फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किया गया है।
- सोनप्रयाग, गौरीकुंड, लिंचौली और केदारनाथ में अस्थाई पशु चिकित्सालय बनाए गए हैं, जहाँ पाँच पशु चिकित्सक और सात पैरावेट स्टाफ तैनात किए गए हैं।
- पैदल मार्ग के 13 स्थानों पर गर्म पानी की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।
यमुनोत्री धाम के लिए भी व्यापक तैयारी
- यमुनोत्री मार्ग पर 3700 से अधिक घोड़े-खच्चर पंजीकृत किए गए हैं।
- जानकीचट्टी में अस्थाई पशु चिकित्सालय की स्थापना की गई है, जिसमें चार पशु चिकित्सक, चार पशुधन प्रसार अधिकारी और दो सहायकों को तैनात किया गया है।
- यात्रा मार्ग पर छह गीजर लगाए गए हैं ताकि पशुओं को गर्म पानी मिल सके।
यात्रा नियंत्रण और प्रीपेड बुकिंग की सख्त व्यवस्था
- केदारनाथ के लिए सोनप्रयाग, गौरीकुंड, भीमबली, लिंचौली और रुद्रप्वाइंट में पाँच प्रीपेड बुकिंग काउंटर स्थापित किए गए हैं।
- यमुनोत्री के लिए जानकीचट्टी में जिला पंचायत द्वारा प्रीपेड काउंटर की स्थापना की गई है।
- यमुनोत्री मार्ग पर संचालकों को नंबर युक्त जैकेट दिए जा रहे हैं और एक दिन में एक बार ही धाम तक आवागमन की अनुमति दी गई है।
मुख्यमंत्री का संदेश
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा:”श्रद्धालुओं की यात्रा को सुखद और सुरक्षित बनाने के लिए सड़क, हेली सेवा और घोड़ा-खच्चर जैसी सभी सुविधाओं को बेहतर किया गया है। पशुपालन विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि केवल पूर्णतः स्वस्थ घोड़े-खच्चर ही यात्रा मार्ग पर भेजे जाएँ।”