उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के लिए बड़ा फैसला: वीआईपी दर्शन शुल्क खत्म कर सकती है धामी सरकार
उत्तराखंड की चार धाम यात्रा में वीआईपी दर्शन को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार एक अहम कदम उठा सकती है। राज्य सरकार की योजना है कि इस बार चार धाम यात्रा में वीआईपी दर्शन पर लिया जाने वाला शुल्क खत्म किया जाए। यह निर्णय खासतौर पर तीर्थयात्रियों के बीच अच्छे संदेश को फैलाने के लिए लिया जा सकता है, क्योंकि वीआईपी दर्शन शुल्क को लेकर पहले कई बार विवाद और असहमति हो चुकी है।
वीआईपी दर्शन शुल्क के बारे में पूर्व विवाद
2023 में, बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने वीआईपी दर्शन के लिए 300 रुपये का शुल्क लिया था, जिससे समिति को लाखों रुपये की आय प्राप्त हुई थी। हालांकि, इस शुल्क व्यवस्था को लेकर कई सवाल उठे थे, क्योंकि लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और इस शुल्क की लेखा-जोखा रखना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, यह भी आरोप लगाए गए थे कि इस व्यवस्था से धार्मिक आस्था में पैसों का प्रभाव पड़ता है, जो सही नहीं है।
मुख्यमंत्री धामी का निर्णय
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस मुद्दे पर विशेष रूप से संवेदनशील हैं और उन्हें धर्म रक्षक के रूप में देखा जा रहा है। उनके नेतृत्व में सरकार ने यह निर्णय लिया है कि चारधाम यात्रा में वीआईपी दर्शन पर कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। यह कदम उत्तराखंड सरकार द्वारा तीर्थयात्रियों के बीच समानता का संदेश देने के लिए उठाया गया है।
चारधाम यात्रा की तैयारियों पर समीक्षा बैठक
मुख्यमंत्री धामी 10 मार्च को चारधाम यात्रा की तैयारियों पर एक समीक्षा बैठक करेंगे, जिसमें यात्रा से संबंधित सभी उच्च अधिकारी मौजूद रहेंगे। इस बैठक में यात्रा को लेकर कई महत्वपूर्ण फैसले किए जा सकते हैं।
पंजीकरण प्रक्रिया को और सुलभ बनाना
आगामी चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को भी सरल और अधिक सुसंगत बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। पर्यटन विभाग ने होली के बाद पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने की योजना बनाई है। इस बार पंजीकरण में आधार कार्ड को अनिवार्य किया जा सकता है, और इसके लिए पोर्टल को अपडेट किया जा रहा है।
निष्कर्ष
इस फैसले से न केवल चार धाम यात्रा की साख में सुधार होगा, बल्कि तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा को और भी सुगम और समर्पित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह कदम उत्तराखंड में धर्म और आस्था को सशक्त करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल साबित हो सकता है।