“नाम बड़े, दर्शन छोटे”: दिव्यांग बालिकाओं को ठुकराने पर डीएम सख्त, नामी संस्थाओं पर उच्च स्तरीय जांच के आदेश Big names, small visions: DM strict on rejecting divyang girls, orders high-level inquiry into renowned institutions.
देहरादून, 13 मई 2025: जिले में कार्यरत कई नामचीन दिव्यांग कल्याण संस्थाओं द्वारा जरूरतमंद मानसिक रूप से असहाय 20 दिव्यांग बालिकाओं को आश्रय देने से इंकार करने का मामला सामने आने पर जिलाधिकारी सविन बंसल ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। डीएम ने इसे मानवता, सेवा और व्यवस्था के खिलाफ घोर लापरवाही करार देते हुए सभी संबंधित संस्थाओं के खिलाफ 10 बिंदुओं पर आधारित उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर दी है।
सख्त संदेश: सेवा के नाम पर व्यापार बर्दाश्त नहीं
डीएम बंसल ने कहा:
“सेवा के नाम पर पंजीकरण लेना और ज़रूरत के समय मुंह मोड़ लेना न केवल अमानवीय है, बल्कि दिव्यांग बच्चों के अधिकारों का खुला उल्लंघन है। यदि संस्थाएं नियम, नैतिकता और सामाजिक उत्तरदायित्वों से हटती हैं, तो प्रशासन उनके पंजीकरण को निरस्त करने से पीछे नहीं हटेगा।”
धोखाधड़ी की आशंका: अभिलेखों और हकीकत में अंतर
समाज कल्याण विभाग को मिली शिकायतों और विशेष स्रोतों से मिली जानकारी के अनुसार, कई संस्थाएं:
- संस्थान में दिखाए गए संसाधन, स्टाफ और बच्चों की संख्या को वास्तव में पूरा नहीं करतीं।
- पंजीकरण के समय दर्शाए गए दस्तावेज और मानवीय संसाधन केवल कागजों पर होते हैं।
- जबकि ये संस्थाएं राज्य, केंद्र सरकार और विदेशी फंडिंग भी ले रही हैं।
प्रशासनिक अधिकारियों को चेतावनी
डीएम ने समाज कल्याण अधिकारी और जिला प्रोबेशन अधिकारी को निर्देश दिए कि वे केवल दस्तखत और संस्तुति तक सीमित न रहें, बल्कि अपनी जिम्मेदारियों को समझें। उन्होंने दो टूक कहा:
“आपके दस्तखत करोड़ों की सरकारी सहायता जारी कर सकते हैं, लेकिन जरूरत पर वही दस्तखत संस्थान का अस्तित्व भी समाप्त कर सकते हैं।”
जांच के दायरे में आने वाली प्रमुख संस्थाएं:
जांच की जद में आने वाली कुछ प्रमुख संस्थाएं निम्नलिखित हैं:
- बजाल इंस्टिट्यूट ऑफ लर्निंग, राजपुर रोड
- लतिका राय फाउंडेशन, वसंत विहार
- रैफल राइडर चौशायर इंटरनेशनल सेंटर, मोहनी रोड
- अरुणिमा प्रोजेक्ट विथ ऑटिज्म, ग्राम सिनोला
- यशोदा फाउंडेशन, डोईवाला
- एमडीआरएस, तपोवन
- मुशीसभा सेवा सदन, हर्बर्टपुर
- दिव्य एजुकेशन सोसायटी, निम्बुवाला
- डिस्लेक्सिया सोसायटी ऑफ उत्तराखंड, राजपुर रोड
- सेतु संस्था, डालनवाला
- वसुंधरा मानव कल्याण संस्था, देहरादून
- लर्निंग ट्री स्कूल, धर्मपुर
- नन्ही दुनिया मूक-बधिर विद्यालय, कालीदास रोड
- आशा स्कूल, गढ़ीकैंट
- आशोनिक वेलफेयर सोसायटी – सशक्त स्पेशल स्कूल, बालावाला
- नंदा देवी निर्धन दिव्यांग कल्याण एसोसिएशन, देहरादून
निष्कर्ष:
जिलाधिकारी का यह सख्त रुख एक स्पष्ट संकेत है कि दिव्यांगजनों के नाम पर चल रही तथाकथित सेवा संस्थाओं को अब जवाबदेह बनना होगा। प्रशासन अब मानव सेवा को पेशेवर व्यापार में बदलने वालों को बख्शने के मूड में नहीं है।