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Wednesday, February 12, 2025
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दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला: धार्मिक, आध्यात्मिक और विदेशी भाषाओं की किताबों में बढ़ता रुझान

दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला: धार्मिक, आध्यात्मिक और विदेशी भाषाओं की किताबों में बढ़ता रुझान

दिल्ली में चल रहे अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले ने इस साल धार्मिक और आध्यात्मिक पुस्तकों के प्रति बढ़ते रुझान को दिखाया है। रामचरितमानस, भगवद्गीता और वेद-पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथों की बिक्री में युवाओं की बढ़ती रुचि देखने को मिल रही है। गीता प्रेस के स्टॉल पर युवा पाठकों की भारी भीड़ जुट रही है, जहां दो रुपये की हनुमान चालीसा से लेकर 1600 रुपये तक की रामायण तक की पुस्तकें खरीदी जा रही हैं। प्रकाशक इन किताबों पर विशेष छूट भी दे रहे हैं, जो अधिक आकर्षण का कारण बन रहा है।

दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला: धार्मिक, आध्यात्मिक और विदेशी भाषाओं की किताबों में बढ़ता रुझान

इस पुस्तक मेले में महाकुंभ पर लिखी गई किताबों की भी बड़ी मांग रही है। ‘भारत में कुंभ’, ‘वॉइस ऑफ गंगा’, ‘ए विजिट टू कुंभ’ जैसी किताबें विशेष चर्चा में हैं। ये किताबें न केवल धार्मिक महत्व को दर्शाती हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आस्था के विविध पहलुओं को भी उजागर करती हैं।

कॉमिक्स और पुरानी यादें

पुरानी यादों को ताजा करने वाली कॉमिक्स भी मेले में बिक्री के मामले में पीछे नहीं हैं। चाचा चौधरी, नागराज, कैप्टन ध्रुव, पंचतंत्र जैसी कॉमिक्स की पुरानी और नई प्रतियां युवाओं और बच्चों में समान रूप से लोकप्रिय हो रही हैं। सोशल मीडिया के युग में जहां डिजिटल कॉमिक्स का चलन बढ़ा है, वहीं इन पारंपरिक कॉमिक्स को एक बार फिर से पसंद किया जा रहा है।

विदेशी भाषाओं की किताबें

विदेशी भाषाओं के प्रति भी युवाओं का रुझान बढ़ा है। जर्मन, फ्रेंच, स्पेनिश, जापानी और कोरियन जैसी भाषाओं को सीखने के लिए किताबों की मांग तेज हुई है। जर्मन भाषा की किताबें ‘हैलो डॉइच’ और स्पेनिश की ‘हाऊ कुल बुक’ खास तौर पर युवाओं के बीच लोकप्रिय हो रही हैं। किताबों पर 20 फीसदी की छूट भी दी जा रही है, जिससे छात्रों को इन भाषाओं को सीखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

साथ ही, हिंदी भाषा सीखने के लिए व्याकरण की किताबें भी उपलब्ध हैं, और अब विदेशी नागरिक भी हिंदी सीखने में रुचि दिखा रहे हैं, जो इस पुस्तक मेले का एक दिलचस्प पहलू है।

निष्कर्ष

अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला न केवल किताबों की विविधता का प्रतिनिधित्व कर रहा है, बल्कि यह दिखा रहा है कि धर्म, आध्यात्मिकता, और विदेशी भाषाओं के प्रति भारतीयों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। धार्मिक ग्रंथों से लेकर विदेशी भाषाओं तक की किताबें, सभी उम्र के पाठकों के बीच अपनी जगह बना रही हैं।

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