उत्तराखंड की 7000 से अधिक ग्राम पंचायतों में फिर टलेंगे चुनाव
प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ेगा, ओबीसी आरक्षण और कानूनी संशोधन अधर में
देहरादून, 4 मई: उत्तराखंड की सात हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में एक बार फिर चुनाव टलने जा रहे हैं। प्रदेश सरकार अब इन पंचायतों में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने की तैयारी में है। हरिद्वार को छोड़कर बाकी जिलों की ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 28 नवंबर 2024, क्षेत्र पंचायतों का 30 नवंबर, और जिला पंचायतों का 2 दिसंबर को समाप्त हो चुका है।
वर्तमान में प्रशासक के रूप में नियुक्त निवर्तमान प्रधान या सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) का कार्यकाल इस महीने समाप्त हो रहा है, लेकिन ओबीसी आरक्षण और दो से अधिक बच्चों के नियम को लेकर अभी तक पंचायती राज अधिनियम में संशोधन नहीं हुआ है, जिससे चुनाव प्रक्रिया में देरी हो रही है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, यदि ओबीसी आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया तुरंत भी शुरू हो, तो इसमें 10–15 दिन लग सकते हैं। इसके बाद चुनाव कराने के लिए 25 से 30 दिन की तैयारी भी आवश्यक है। ऐसे में आगामी दिनों में चुनाव कराना संभव नहीं है और प्रशासकों का कार्यकाल आवश्यक रूप से बढ़ाया जाएगा।
राज्य के पंचायत संगठन के संयोजक जगत सिंह मर्तोलिया ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि:
“त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल प्रशासनिक समिति के माध्यम से बढ़ाना चाहिए था, लेकिन इसे प्रशासकों के हवाले कर दिया गया। इससे राज्य वित्त और 15वें वित्त आयोग की करीब 16 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च नहीं हो पा रही है।“
विभागीय सचिव चंद्रेश कुमार यादव से संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।